चाहत की सारी रस्में कसमें तोड़कर,
मैंने चाहा है तुम्हें ज़माने को छोड़कर,
बाख़ुदा हम तो जीते जी मर जायेंगें...,
आओ ना तुम हमसे ऐसे मुँह मोड़कर !
Chahat ki saari rasmen kasmen todkar,
Maine chaha hai tumhen zamane ko chhodkar,
Baakhuda hum toh jeete jee mar jaayengen...,
Jaao naa tum humse aise munh modkar !
- Article By. Dharm_Singh
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