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Saaqi shayari...

Saaqi_shayari


साक़ी इन्तिहा ना पूँछ तू मेरे दर्द-ए-दिल की, कितनी क़यामत दिल पे गुज़र रही है,
रिश्ते में हमारे जिन्होंने ज़हर घोला, वो "बेवफ़ा" उन्हीं की ज़िन्दगी में रंग भर रही है !

Saaqee intiha naa poonchh too mere dard-e-dil ki, kitni qayamat dil pe guzar rahi hai,
Rishte mein humare jinhone zahar ghola, woh "bewafa" unhee ki zindagi mein rang bhar rahi hai !


  • साक़ी - शराब पिलाने वाला व्यक्ति, शराब पिलाने वाली प्रेमिका
  • इन्तिहा - सीमा, पराकाष्ठा, उत्थान, अंजाम, चरम सीमा, अत्यधिक
  • दर्द-ए-दिल - दिल के दर्द, दिल का दर्द
  • क़यामत - आफ़त, प्रलय, प्रलय का दिन

  • Article By. Dharm_Singh

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