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Bewafa ki yaad shayari...

Bewafa_ki_yaad_shayari


कारोबार तेरी यादों का बेवफ़ा दम-ब-दम हो रहा है,
जिसमें हर्ज़ और मर्ज़ बेहिसाब मुनाफ़ा कम हो रहा है !

Karobaar teri yaadon ka bewafa, dam-b-dam ho rahaa hai,
Jismein harz aur marz behisaab munafa kam ho rahaa hai !


  • दम-ब-दम - प्रतिक्षण, बार-बार
  • हर्ज़ - नुक़सान, हानि
  • मर्ज़ - रोग़, बीमार, व्याधि, दुःख, कष्ट, पीड़ा
  • मुनाफ़ा - लाभ, नफ़ा, फायदा

  • Article By. Dharm_Singh

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1 टिप्पणियाँ

  1. भटक गए हम राहों में
    मंजिल का ठिकाना नहीं था...

    ले गई जिंदगी उन राहों में
    जहां हमें जाना नही था...

    कुछ क़िस्मत की मेहरबानी
    कुछ हमारा कसूर था...

    हमने खो दिया सबकुछ वहां
    जहां हमे कुछ पाना नहीं था........

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