निग़ाहों ही निग़ाहों में गुफ़्तगू हो रही है और लब ख़ामोश हैं,
आरज़ू-ए-उल्फ़त में होकर बड़े बेक़रार दो परिंदें मदहोश हैं !
Nigahon hee nigahon mein guftgoo ho rahi hai aur lab khamosh hain,
Aarzoo-e-ulfat mein hokar bade beqarar do parinden madhosh hain !
- गुफ़्तगू - बातचीत, वार्तालाप, आभाषण
- आरज़ू-ए-उल्फ़त - प्यार की तमन्ना, चाहत की चाह
- Article By. Dharm_Singh
0 टिप्पणियाँ