मौसम-ए-बहार में गुल ख़िज़ा के खिल गये,
हमको ठुकराकर जब वो ग़ैरों से मिल गये !
Mausam-e-bahaar mein gul khiza ke khil gaye,
Humko thukrakar jab woh gairon se mil gaye !
- मौसम-ए-बहार - बहार के मौसम, बहारों का मौसम
- गुल - फूल, पुष्प
- ख़िज़ा - पतझड़, पतन, बुढ़ापा, आख़िरी उम्र
- Article By. Dharm_Singh
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