बारिश की इन बूंदों की ऐसी बिसात कहाँ...,
जो तेरी लगाई शय को तेरे बग़ैर बुझा सके !!
Baarish ki in boondon ki aisi bisat kahan...,
Jo teri lagai shay ko tere bagair bujhaa sake !!
- बिसात - औक़ात, हैसियत, सामर्थ्य, बल
- शय - आग, अग्नि
- Article By. Dharm_Singh
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