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Khwab shayari in hindi...

Khwab_shayari_in_hindi


ज़र्रा-ज़र्रा महक उठता है और हरसू बहार छा जाती है,
ख़्वाबों में ही सही सामने जब सूरत-ए-यार आ जाती है !

Zarra-zarra mahak jaata hai aur harsoo bahar chhaa jaati hai,
Khwabon mein hee sahee samne jab soorat-e-yaar aa jaati hai !


  • ज़र्रा-ज़र्रा - कण-कण 
  • हरसू - चारों और
  • सूरत-ए-यार - महबूब का चेहरा

  • Article By. Dharm_Singh

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