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Bewafa shayari 4 line...

Bewafa_shayari_4_line


सजदे में सर झुके और लबों पे तेरी फ़रियाद ना आये ऐसा हो नहीं सकता,
रोज़ तन्हाईयों संग शाम ढले और तेरी याद ना आये ऐसा हो नहीं सकता,
इल्तिज़ा है ख़ुदा से दिल तेरा भी तोड़े कोई तेरी तरहा मोहब्बत में बेमुरव्वत,
फ़िर बार-बार ख़याल तुझें मेरा उसके बाद ना आये ऐसा हो नहीं सकता...!!

Sajde mein sar jhuke aur labon pe teri fariyad naa aaye aisa ho nahin sakta,
Roz tanhaiyon sang shaam dhale aur teri yaad naa aaye aisa ho nahin sakta,
Iltiza hai khuda se dil tera bhi tode koi teri tarahaa mohabbat mein bemuravvat,
Fir baar-baar khayal tujhen mera uske baad naa aaye aisa ho nahin sakta...!! 



  • सजदा - ईश्वर के सामने सर झुकाकर या घुटने टेककर की जानेवाली प्रार्थना
  • फ़रियाद - दुहाई, शिक़ायत
  • इल्तिज़ा - प्रार्थना, निवेदन, विनती, दुहाई, मिन्नत
  • बेमुरव्वत - बेरहम, निष्ठुर, जिसमें शील संकोच न हो, जिसमें शर्म या लज्जा न हो

  • Article By. Dharm_Singh

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