कमबख्त अब तो आँखों के अश्क़ भी बग़ावत करने लगे हैं हमसे यह कह कर,
कि नहीं रोया जाता अब हमसे और, रोज़ एक ही शख़्स की यादों में खोकर...!!
Kambakht ab toh aankhon ke ashq bhi bagawat karne lage hain humse yah kah kar,
Ki nahin roya jaata ab humse aur, ek hee shakhs ki yaadon mein khokar...!!
- अश्क़ - आँसु, अश्रु
- बग़ावत - विद्रोह, बागी होने का भाव
- Article By. Dharm_Singh
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