आह पर आह बेहिसाब भरता हूँ, हर रोज तेरे आने की मुसलसल राह तकता हूँ,,,
न जाने किस घड़ी आ आओ तुम लौटकर, इसी उम्मीद में मुक़म्मल रात जगता हूँ...!
Aah par aah behisab bharta hoon, har roj tere aane ki musalsal raah takta hoon,,,
Na jaane kis ghadi aa jaao tum lautkar, isi ummid mein mukammal raat jagta hoon...!
- मुसलसल - लगातार, निरंतर, सतत, क्रमबद्ध
- मुक़म्मल - संपूर्ण, पूर्ण, पूरा, समग्र
- Article By. Dharm_Singh
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