Advertisement

Tabah shayari...

Tabah_shayari


मुक़म्मल शब रोता रहा फ़लक और ख़बर ज़मीं को ना हुई,
वो हमीं को तबाह करते रहे और ख़बर हमीं को ना हुई !

Mukammal shab rota raha falak aur khabar zameen ko naa hui,
Woh humeen ko tabah karte rahe aur khabar humeen ko naa hui !



  • मुक़म्मल - पूर्ण, संपूर्ण, समस्त, सारा
  • शब् - रात, रात्री, निशा, रैन, रजनी
  • फ़लक - आसमान, गगन, आकाश, अम्बर, व्योम
  • तबाह - जो पूर्णत: बर्बाद हो गया हो, जिसका सर्वस्व लुट गया हो

  • Article By. Dharm_Singh 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ