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Tabah shayari...

Tabah_shayari


मुक़म्मल शब्  रोता रहा फ़लक, और ख़बर ज़मीं को ना हुई,,,
वो हमीं को तबाह करते रहे, और ख़बर हमीं को ना हुई...!!

Mukammal shab rota raha falak, aur khabar zameen ko naa hui,,,
Woh humeen ko tabah karte rahe, aur khabar humeen ko naa hui...!!


  • मुक़म्मल - पूर्ण, संपूर्ण, समस्त, सारा
  • शब् - रात, रात्री, निशा, रैन, रजनी
  • फ़लक - आसमान, गगन, आकाश, अम्बर, व्योम
  • तबाह - जो पूर्णत: बर्बाद हो गया हो, जिसका सर्वस्व लुट गया हो

  • Article By. Dharm_Singh 

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