साहब... हम बेमुरव्वती के उस दौर में जी रहे हैं,
जिसमें ज़्यादातर लोग बेवफ़ाई के आँसू पी रहे हैं !
Saahab... hum bemuravvti ke us daur mein jee rahe hain,
Jismein zyadatar log bewafai ke aansoo pee rahe hain !
- बेमुरव्वती - निर्दय, जिसे शर्म या लज्जा न हो, अवसरवादी, जिसमें शील या संकोच न हो
- Article By. Dharm_Singh
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