दिल तो आज भी तरसता है, गुफ़्तगू तुमसे करने को,,,
बस अब हिम्मत नहीं रही, ख़ुद को और ज़लील करने की...!!
Dil toh aaj bhi tarasta hai, guftgoo tumse karne ko,,,
Bas ab himmat nahin rahi, khud ko aur zalil karne ki...!!
- गुफ़्तगू - बात-चीत, वार्तालाप, बातें करना
- ज़लील - अपमानित, बेईज्ज़त, तिरस्कृत
- Article By. Dharm_Singh
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