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Talab shayari...

Talab_shayari

उसने कभी पूँछा ही नहीं हमसे, आँखें तुम्हारी क्यों नम रहती है,
एहतराम से कहते, इन्हें तलब तुम्हारे दीद की दम-ब-दम रहती है !

Usne kabhi poonchha hee nahin humse, aankhen tumhari kyon nam rahati hai,
Ehatram se kahte, inhen talab tumhare deed ki dum-b-dum rahati hai !



  • नम - तर, गीला, भीगा, आर्द्र
  • एहतराम - आदर, सम्मान, इज़्ज़त
  • तलब - तलाश, खोज, चाह, पाने की इच्छा
  • दीद - दीदार, देखना, दर्शन, देखने की क्रिया 
  • दम-ब-दम - प्रतिक्षण, बार-बार, लगातार, निरंतर

  • Article By. Dharm_Singh

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