आख़िर कितना मातम करूँ तेरी बेवफ़ाई का,
कि ये जीस्त-औ-जाँ भी मुझसे तौबा कर ले !
Aakhir kitna matam karoon teri bewafai ka,
ki yeh jist-o-jaan bhi mujhse tauba kar le !
- मातम - शोक, रंज, ग़म, रोना पीटना
- जीस्त-औ-जाँ - ज़िन्दगी और जान
- तौबा - रुक जाना, छोड़ देना या त्यागना
- Article By. Dharm_Singh
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