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Matam shayari...

Matam_shayari

आख़िर कितना मातम करूँ तेरी बेवफ़ाई का,
कि ये जीस्त-औ-जाँ भी मुझसे तौबा कर ले !

Aakhir kitna matam karoon teri bewafai ka,
ki yeh jist-o-jaan bhi mujhse tauba kar le !


  • मातम - शोक, रंज, ग़म, रोना पीटना
  • जीस्त-औ-जाँ - ज़िन्दगी और जान
  • तौबा - रुक जाना, छोड़ देना या त्यागना

  • Article By. Dharm_Singh

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