मत खोल मेरे ज़ख्मों की किताब को, हर पन्ने पे अधूरी कहानी मिलेगी,
कुछ क़िस्मत और कुछ ख़ुदा की, बाकी मेरे अपनों की मेहरबानी मिलेगी !
Mat khol mere zakhmon ki kitab ko, har panne pe adhuri kahani milegi,
Kuch kismat aou kuch khuda ki, baaki mere apno ki meharbani milege !
- Article By. Dharm_Singh
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