यूँ तो वो रोज मिलते हैं हमें पर बात नहीं होती,
बग़ैर उनके रात तो होती है पर रात नहीं होती,
मुक़म्मल शब गुज़र जाती है इसी कश्मकश में,
क्यूँ हमारी किस्मत ही हमारे साथ नहीं होती...!!
Yun toh woh roj milte hain humen par baat nahin hoti,
Bagair unke raat toh hoti hai par raat nahin hoti,
Mukammal shab guzar jaati hai isi kashmkash mein,
Kyun humari kismat hee humare saath nahin hoti...!!
- मुक़म्मल - संपूर्ण, समस्त
- शब - रात, रात्रि, निशा, रैन
- कश्मकश - असमंजस, दुविधा, पसोपेश, आपाधापी, खींचातानी
- Article By. Dharm_Singh
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