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Dastaan shayari...

Dastaan_shayari


दास्ताँ-ए-दिल मेरी, जाने क्यूँ अधूरी रह गई...,
ज़िन्दगी से लम्बी, मंज़िल से महज़ दो कदम की दूरी रह गई...!

Dastaan-e-dil meri, jaane kyun adhoori rah gai...,
Zindagi se lambi, manzil se mahaz do kadam ki doori rah gai...!



  • दास्ताँ-ए-दिल - दिल की कहानी
  • मंज़िल - गंतव्य स्थान, ठिकाना, मुक़ाम, पड़ाव
  • महज़ - केवल, सिर्फ़, मात्र

  • Article By. Dharm_Singh

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1 टिप्पणियाँ

  1. उसने जाते हुए मुड़ के देखा नहीं,
    कोई इतना भी संगदिल तो होता नहीं,

    जी सकेंगे न इक पल हम उसके बिना,
    जाने वाले ने इतना भी सोचा नहीं...!!

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