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Khuddar shayari...

Khuddar_shayari


मंज़ूर है मुझें ख़ुद्दारी की सूखी खाना भाकरी,
पर हरगिज़ नहीं करूँगा दौलतमंदों की चाकरी !

Manzoor hai mujhen khuddari ki sookhi khana bhaakri,
Par hargiz nahin karunga daulatmandon ki chaakri !



  • मंज़ूर - स्वीकृत, स्वीकार, पसंद, जो मान लिया गया हो,
  • ख़ुद्दारी - स्वाभिमान, आत्मसम्मान, आत्मगौरव, अपनी प्रतिष्ठा और मर्यादा का ध्यान रखनेवाला
  • भाकरी - रोटी, नान, जवार की रोटी
  • हरगिज़ - कदापि, कभी, कभी नहीं, कत्तई, किसी दशा में, किसी हालात में
  • दौलतमंद - धनवान, धनी, संपन्न, अमीर, रईस, समृद्ध, मालदार

  • Article By. Dharm_Singh

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