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Hayat shayari...

Hayat_shayari

अब ना आऊँगा मैं लौटकर, फ़िर से तेरी हयात में...,
देखी है मैंने मक्कारी और ग़द्दारी, बेवफ़ा तेरी जात में !

Ab naa aaunga main lautkar, fir se teri hayat mein...,
Dekhi hai maine makkari aur gaddari, bewafa  teri jaat mein !


  • हयात - ज़िन्दगी, जीवन, जान, आत्मा, रूह
  • मक्कारी - धोकेबाज़ी, छल से भरा कार्य, चालाकी
  • ग़द्दारी - विश्वासघाती, नमकहरामी, कृतघ्नता, विद्रोही
  • जात - कुटुम्ब, कुल, वर्ग, समूह, जाति, बिरादरी, कौम

  • Article By. Dharm_Singh

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