अब ना आऊँगा मैं लौटकर, फ़िर से तेरी हयात में...,
देखी है मैंने मक्कारी और ग़द्दारी, बेवफ़ा तेरी जात में !
Ab naa aaunga main lautkar, fir se teri hayat mein...,
Dekhi hai maine makkari aur gaddari, bewafa teri jaat mein !
- हयात - ज़िन्दगी, जीवन, जान, आत्मा, रूह
- मक्कारी - धोकेबाज़ी, छल से भरा कार्य, चालाकी
- ग़द्दारी - विश्वासघाती, नमकहरामी, कृतघ्नता, विद्रोही
- जात - कुटुम्ब, कुल, वर्ग, समूह, जाति, बिरादरी, कौम
- Article By. Dharm_Singh
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