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Zakhm shayari...

Zakhm_shayari


दे गया वो ज़ख़्म मुझें ऐसा, जिसकी ना फ़िर कोई दवा लगी,,,
नासूर की तरहा बढ़ता गया, जब-जब उसकी यादों की हवा लगी !

De gaya voh zakhm mujhen aisa, jiski naa fir koi dawa lagi,,,
Nasoor ki tarhaa badhta gaya, jab-jab uski yaadon ki hawa lagi !



  • ज़ख़्म - घाव, क्षत, चोट, सदमा, मानसिक ठेस या आघात, घाटा, हानि
  • नासूर - एक प्रकार का घाव जो निरंतर रिस्ता ओर बहता रहता हो और कभी भी अच्छा नहीं होता

  • Article By. Dharm_Singh

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