महज़ इक तेरा ख़याल, आँखें मेरी नम कर जाता है,
वक़्त बे-वक़्त आकर, इज़ाफ़ा-ए-ग़म कर जाता है !
Mahaz ik tera khayal, aankhen meri nam kar jata hai,
Waqt be-waqt aakar, izafa-e-gum kar jata hai !
- महज़ - मात्र, केवल, सिर्फ़, फ़क़त, खालिस
- ख़याल - ध्यान, सोच-विचार, कल्पना, स्मरण, याद
- इज़ाफ़ा - वृध्दि, बढ़ोतरी, उन्नति, बढ़त, ग्रोथ
- ग़म - दुःख, रंज, क्षोभ, शोक, चिंता, मुसीबत, क्लेश
- Article By. Dharm_Singh
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