वो आयेंगें जनाज़े पे मेरे दीदार आख़िरी करने को,
कमबख़्त दिल कहीं बग़ावत ना कर बैठे ऐतबार आख़िरी करने को !
Woh aayengen janaze pe mere deedar aakhiri karne ko,
Kambakht dil kahin bagawat naa kar baithe aitbaar aakhiri karne ko !
- जनाज़ा - शवयात्रा, लाश, मुर्दा, कफ़न में लिपटा हुआ शव
- दीदार - दर्शन, मुलाक़ात, देखने की क्रिया, साक्षात्कार
- बग़ावत - विद्रोह, बाग़ी होना, किसी के ख़िलाफ़ खड़ा होना
- ऐतबार - भरोसा, विश्वास, यकीन
- Article By. Dharm_Singh
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