बेख़याली में भी बस यही ख़याल आता है,
क्या अब भी उसको मेरा ख़याल आता है !
Bekhayali mein bhi bas yahi khayal aata hai,
Kya ab bhi usko mera khayal aata hai !
- बेख़याली - नासमझी, जिसे कुछ ख़याल न हो, बेपरवाह, लापरवाह
- ख़याल - ध्यान, कल्पना, सोच-विचार, स्मरण, याद, मन में उपजी कोई नई बात
- Article By. Dharm_Singh
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