पलकें बिछाए बैठे रहे हम रात भर जिनकी राहों में,
मुक़म्मल शब गुजार दी उसने किसी ग़ैर की बाहों में !
Palken bichhaye baithe rahe hum raat bhar jinki raahon mein,
Mukammal shab gujaar dee usne kisi gair ki baahon mein !
- राह - रास्ता, पथ, पर्ग, डगर
- मुक़म्मल - संपूर्ण, पूर्ण, समाप्त
- शब - रात, निशा, रैन, रात्रि
- Article By. Dharm_Singh
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