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Zindagi se pareshan shayari...

Zindagi_se_pareshan_shayari


जाने क्यूँ ख़ुदा, हर इल्तिज़ा मेरी बे-असर हो रही है,,,
ना ज़िन्दगी की उलझनें कम, ना मौत मयस्सर हो रही है...!!

Jaane kyun khuda, har iltiza meri be-asar ho rahi hai,,,
Naa zindagi ki uljhnen kam, naa maut mayassar ho rahi hai...!!


  • इल्तिज़ा - मिन्नत, प्रार्थना, निवेदन, विनती, दुहाई, गुज़ारिश
  • बे-असर - बेनतीज़ा, निष्फल, असरहीन, प्रभावहीन
  • मयस्सर - प्राप्त, उपलब्ध, सूलभ, मिलना, हासिल होना

  • Article By. Dharm_Singh

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