रो पड़ा वो दरख़्त भी, दास्ताँ-ए-मोहब्बत मेरी सुनकर,
बेवफ़ा ने खाई थी कसमे-वफ़ा, जिससे कभी लिपटकर !
Ro pada woh darkht bhi, dastan-e-mohabbat meri sunkar,
Bewafa ne khaai thi kasame-wafa, jisase kabhi lipatkar !
- दरख़्त - पेड़, वृक्ष, शजर
- दास्ताँ-ए-मोहब्बत - मोहब्बत की दास्ताँ, प्यार की कहानी
- कसम-ए-वफ़ा - वफ़ा की कसम, वचन पालन, वादा निभाने की सोगन्ध
- Article By. Dharm_Singh
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