आहिस्ता आहिस्ता से ये साँझ ढ़ल रही है,
रफ़्ता रफ़्ता कुछ फ़िज़ा भी सर्द चल रही है,
इस दिल-ए-नाशाद के वीराने में मेरे महबूब,
फ़क़त इक तेरी मुक़म्मल कमी ख़ल रही है !
Aahista Aahista se yeh sanjh dhal rahi hai,
Rafta rafta kuch fiza bhi sard chal rahi hai,
Is dil-e-nashad ke virane mein mere mahboob,
Faqat ik teri mukmmal kami khal rahi hai !
- आहिस्ता-आहिस्ता - धीरे-धीरे, थोड़ा-थोड़ा, रफ़्ता-रफ़्ता, हौले-हौले, धीमे-धीमे
- दिल-ए-नाशाद - अप्रसन्न होना, दिल का दुखी, उदास, ग़मगीन
- फ़क़त - सिर्फ़, बस, केवल, बस इतना
- मुक़म्मल - पूर्ण, संपूर्ण, सारा, समस्त
- Article By. Dharm_Singh
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