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Kismat ke sitam...

Kismat_ke_sitam


क्या ख़ूब क़िस्मत के ज़ुल्म-औ-सितम बरस रहे हैं,,,
मुक़म्मल जहाँ को छोड़कर इक शख़्स को तरस रहे हैं...!!

Kya khoob kismat ke zulm-o-sitam baras rahe hain,,,
Mukammal jahan ko chhodkar ik shakhs ko taras rahe hain...!!


  • क़िस्मत - तक़दीर, भाग्य, नसीब, मुकद्दर
  • सितम - ज़ुल्म, अत्याचार, अन्याय, अनर्थ, कष्ट पहुँचाना
  • शख़्स - व्यक्ति, आदमी, मनुष्य, इन्सान

  • Article By. Dharm_Singh

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1 टिप्पणियाँ

  1. भरे बाजार से अक्सर मैं खाली हाथ आया हूँ,
    कभी ख्वाहिश नहीं होती कभी पैसे नहीं होते।

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