जब ज़िन्दगी ही गुज़र रही है मेरी दर्द की पनाह में,
तो थोड़े से काँटे तुम भी बिखेर लो यार मेरी राह में !
Jab zindagi hee guzar rahi hai meri dard ki panaah mein,
Toh thode se kante tum bhi bikher lo yaar meri raah mein !
- पनाह - शरण, हिमायत, सहारा, के साये में
- काँटे - शूल, विकट पीड़ा
- राह - पथ, मार्ग, रास्ता
- Article By. Dharm_Singh
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