ना हँसता हूँ ना रोता हूँ ना जगता हूँ ना सोता हूँ, बस हर लम्हा तेरे ख़यालों में ख़ोया रहता हूँ,
कहीं सूख़ ना जाये आँखें मेरी तेरे दीदार की तलब में, इसलिए इन्हें अश्कों में भिगोया रहता हूँ !
Na hansta hun na rota hun na jagta hun na sota hun, bas har lamha tere khayalon mein khoya rahta hun,
Kahin sookh na jaye aankhen meri tere deedar ki talab mein, isliye inhen ashqon mein bhigoya rahta hun !
- लम्हा - पल, घड़ी, सेकंड, समय का अति सूक्ष्म मान, समय कि सबसे छोटी इकाई
- दीदार - दर्शन, दीद, साक्षात्कार, मुलाक़ात, देखने की क्रिया
- तलब - खोज़, तलाश, प्राप्त करने की इच्छा, पाने कि इच्छा, मांग, इच्छा, चाह
- अश्क़ - आँसू, आँसू की बूंद, अश्रुकण
- Article By. Dharm_Singh
1 टिप्पणियाँ
भरे बाजार से अक्सर मैं खाली हाथ आया हूँ,
जवाब देंहटाएंकभी ख्वाहिश नहीं होती कभी पैसे नहीं होते।