क्यूँ लिखी ख़ुदा तूने मोहब्बत करने वालों की ऐसी तक़दीर,
मजनू-मजनू करते लैला मर गई और राँझा-राँझा करते हीर,
मुझ अभागे आशिक़ को मौत भी ना मयस्सर हुई उल्फ़त में,
दर-ब-दर भटक रहा हूँ बनकर इश्क़ का जोगी और फ़क़ीर !
Kyun likhi khuda tune mohabbat karne walon ki aisi taqdeer,
Majnoo-majnoo karte laila mar gai aur ranjha-ranjha karte heer,
Mujh abhage aashiq ko maut bhee naa mayssar hui ulfat mein,
Dar-b-dar bhatak rahaa hoon bankar ishq ka jogi aur faqeer !
- तक़दीर - क़िस्मत, भाग्य, नसीब, संयोग
- बदनसीब - अभागा, ख़राब क़िस्मत वाला, नामुराद, नाकाम
- मयस्सर - मिलना, हासिल होना, नसीब होना, प्राप्त होना, हाथ लगना
- उल्फ़त - प्यार, इश्क, मोहब्बत, प्रेम, चाहत, चाह
- फ़क़ीर - निर्धन, भिखारी, दरवेश, महात्मा, संत, साधु
- Article By. Dharm_Singh
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