ना किसी के जलाने से जलेगी, ना किसी के बुझाने से बुझेगी,
ये इश्क़ की आग, मुकम्मल राख़ होने तक सुलगती ही रहेगी !
Naa kisi ke jalane se jalegi, naa kisi ke bujhane se bujhegi,
Yeh ishq ki aag, mukammal rakh hone tak sulgati hi rahegi !
- इश्क़ - प्रेम, मुहब्बत, आशिक़ी, गहरी चाहत, अनुराग
- मुकम्मल - सम्पूर्ण, समाप्त, पूरा, सारा, ख़त्म, अन्त
- Article By. Dharm_Singh
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