वो हाल-ए-दिल ना जान सके कभी मेरे इस दिल-ए-नाशाद का,
हमने ख़ुद जनाज़ा उठाकर मातम किया है अपने दिल-ए-बर्बाद का !
Woh haal-e-dil naa jaan sake kabhi mere is dil-e-nashad ka,
Humne khud janaza uthakar matam kiya hai apne dil-e-barbad ka !
- हाल-ए-दिल - दिल का हाल
- दिल-ए-नाशाद - नाख़ुश दिल, अप्रसन्न दिल
- जनाज़ा - शवयात्रा, लाश, मुर्दा, कफ़न में लिपटा हुआ शव, कपड़े में लिपटी लाश
- मातम - शोक, मरने वाले का ग़म, किसी कि मृत्यु के कारण होने वाला शोक
- दिल-ए-बर्बाद - बर्बाद दिल, उजड़ा हुआ दिल, तबाह हुआ दिल
- Article By. Dharm_Singh
1 टिप्पणियाँ
यूँ ही कब तक मेरी तकदीर में बल आएगे
जवाब देंहटाएंआज की बात पर कहते हो के कल आएंगे ।
पांव जब ज़ज़्ब - ए -मोहब्बत के निकल आएंगे
वादी -ए-हुस्न-ओ - जवानी मैं खलल आएंगे।
हौसला शर्त है हालात से मायूस न हो
रास्ते खुद ही चट्टानों से निकल आएंगे ।
करवटें लेता है जब दर्द- ए- मोहब्बत दिल से
कोई चुपके से ये कहता है संभल आएंगे।
जब बहार आएगी फूलों पे शबाब आएगा
तज़्किरे मेरी तबाही के निकल आएंगे...!!